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चरखापारा पंचायत : नेताओं–मंत्रियों की कृपा से सचिव विजय पैंकरा की वर्षों से स्थायी तैनाती… ट्रांसफर नीति पर राजनीति का ताला

विशेष लेख महेंद्र साहू छत्तीसगढ़ स्टेट हेड आदिवासी जन समाचार

रायगढ़:-ग्राम पंचायत चरखापारा में पंचायत सचिव विजय पैंकरा की वर्षों से जारी तैनाती ने ग्रामीणों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। नियमों के अनुसार पंचायत सचिवों का समय-समय पर तबादला अनिवार्य है, लेकिन चरखापारा में यह व्यवस्था नेताओं–मंत्रियों की राजनीतिक मेहरबानी के आगे ठहरती नहीं दिख रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि लंबी पोस्टिंग पारदर्शिता को खत्म कर रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि सचिव की यह “स्थायी तैनाती” किसी चमत्कार की नहीं बल्कि राजनीतिक संरक्षण की देन है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि चाहे कितनी भी शिकायतें दर्ज हों, सचिव को मिले प्रभावशाली नेताओं के समर्थन के कारण अधिकारी कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते। ग्रामीणों का दावा है कि इस पोस्टिंग को “मलाईदार” मानकर बचाए रखने की कोशिश होती रहती है।

लोगों का आरोप है कि वर्षों से एक ही अधिकारी के कुर्सी पर जमे रहने से पंचायत के कामकाज में पारदर्शिता खत्म हो गई है और कई विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीण खुलकर सवाल उठा रहे हैं—क्या चरखापारा पंचायत सिफारिशों पर चल रही है? क्या ट्रांसफर नीति नेताओं की जेब में कैद है? और क्या सचिव की यह कुर्सी सत्ता की छाया में स्थायी हो चुकी है?

यह मामला अब एक सचिव तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल बन गया है। ग्रामीण मांग कर रहे हैं कि इस “राजनीतिक खेल” पर रोक लगे और पारदर्शिता बहाल की जाए। लोगों का सवाल है—क्या प्रशासन साहस दिखाकर इस वर्षों पुरानी पोस्टिंग को तोड़ेगा या फिर नियम-कायदों को सत्ता का दबाव यूं ही दबाता रहेगा?

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