रायगढ़।
लैलूंगा जनपद पंचायत में अफसर–कर्मचारियों की पकड़ इतनी मजबूत हो चुकी है कि मानो सरकारी कुर्सी उनकी पुश्तैनी जागीर बन गई हो। वर्षों से एक ही जगह डटे ये अफसर अब “अंगद के पांव” की तरह जमे हुए हैं, जिन्हें हटाना शासन–प्रशासन के लिए भी नामुमकिन साबित हो रहा है।
नियम-कानून ताक पर रखकर ये अफसर न केवल अपनी मनमानी कर रहे हैं, बल्कि सेटिंग–सिस्टम के सहारे हर जांच और कार्रवाई को पचाकर निकल जाते हैं।
सूत्र बताते हैं कि लैलूंगा जनपद पंचायत अब “भ्रष्टाचार का अड्डा” बन चुका है। यहां फाइलों के नाम पर खेल चलता है, और जनता की समस्याएं केवल कागजों में दबकर रह जाती हैं। ठेकेदारों, दलालों और नेताओं से मिलीभगत कर अफसर–कर्मचारी जमकर मलाई काट रहे हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जनपद पंचायत अब जनता की सेवा के लिए नहीं, बल्कि अफसरों–कर्मचारियों की मलाईखोरी का अड्डा बन चुका है। योजनाओं में गड़बड़ी, फर्जी बिल–वाउचर और फाइल दबाने का खेल खुलेआम चल रहा है।
अब सवाल यह है कि क्या सरकार इन “अंगद के पांव” की तरह जमे अधिकारियों की जड़ें हिला पाएगी?
या फिर यह खेल हमेशा की तरह “सेटिंग और सांठगांठ” के दम पर यूं ही चलता रहेगा?