रायगढ़/लैलूंगा।
ग्राम पंचायत झरन में मनरेगा योजनाओं के तहत हो रहे घोटाले का मामला अब मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ तक पहुँच चुका है। रोजगार सहायक दुर्योधन प्रसाद यादव पर फर्जी श्रम प्रविष्टि, शासकीय धन की हेराफेरी, ग़ैरक़ानूनी भुगतान और कियोस्क बैंकिंग के माध्यम से गरीब-अशिक्षित ग्रामीणों की मेहनत की कमाई हड़पने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।
शिकायतकर्ताओं ने पूर्व में 20 मई 2025 और 17 जून 2025 को कलेक्टर रायगढ़ व जिला पंचायत रायगढ़ को लिखित शिकायत दी थी। जांच दल भी गठित हुआ, स्थल निरीक्षण और ग्रामीणों के बयान भी दर्ज हुए। जांच में फर्जी श्रम प्रविष्टि, ग़ैरहाज़िर मजदूरों को भुगतान, नियमों का उल्लंघन और यहाँ तक कि परिवार के नाम से फर्जी मजदूरी निकालने के ठोस सबूत भी सामने आए।
👉 जांच रिपोर्ट में सामने आए हैरान कर देने वाले तथ्य –
रोजगार सहायक की बहन और चचेरे भाई कॉलेज-विश्वविद्यालय में परीक्षा दे रहे थे, लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड में उन्हें मनरेगा में ‘काम करते’ दिखाकर मजदूरी निकाली गई।
मनरेगा योजना की राशि गरीब-अशिक्षित विधवा और महिलाओं के खाते में जमा कर, उनके अंगूठे लगवाकर खुद निकाल लेने का बड़ा खेल सामने आया।
पंचायत में सड़क,डबरी, सुपोषण वाटिका और भूमि समतलीकरण के कागजों में काम पूरा, लेकिन जमीनी हकीकत – शून्य निर्माण।
खुद रोजगार सहायक ने ग्रामीणों के सामने स्वीकार किया कि – “अधिकारियों के दबाव में भ्रष्टाचार करता हूँ, ऊपर तक सेटिंग कर रखी है, तुम बताओ तुम्हें कितना चाहिए…” – इस पूरे बयान का विडियो फुटेज भी सबूत के तौर पर मौजूद है।
इसके बावजूद, सबसे बड़ा सवाल यह है कि – जब जांच में भ्रष्टाचार साफ़-साफ़ सिद्ध हो चुका है, तो अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं? क्या रोजगार सहायक की ‘सेटिंग’ की कहानी सच है? क्या सचमुच पंचायत से लेकर जनपद और जिला स्तर तक भ्रष्टाचार की जड़ें फैली हुई हैं?
⚡ अब जब शिकायत सीधे मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ तक पहुँच चुकी है, तो देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह फाइल भी अधिकारियों के टेबल पर दबाकर धूल फाँकेगी, या फिर दोषी रोजगार सहायक को बर्खास्त कर जेल की सलाखों तक पहुँचाया जाएगा।
ग्राम पंचायत झरन के ग्रामीणों का कहना है कि –
“अगर इस बार भी कार्रवाई नहीं हुई, तो साफ हो जाएगा कि भ्रष्टाचार के इस खेल में ऊपर तक की सेटिंग है।”
🔥 यह मामला अब सिर्फ़ पंचायत या जनपद का नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की साख पर सीधा सवाल बन चुका है। मुख्यमंत्री के संज्ञान में जाने के बाद आने वाले दिनों में इस घोटाले की दिशा तय करेगी कि भ्रष्टाचार पर सरकार कितनी गंभीर है।