धरमजयगढ़। रैरूमा चौकी क्षेत्र में हुई संदिग्ध मौत के मामले में डॉ. की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। मृतक के पूरे शरीर पर गंभीर चोट के निशान पाए जाने के बावजूद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसे आत्महत्या (सुसाइड) बताया गया। डॉक्टर के इस निष्कर्ष के कारण पुलिस विवेचना आगे नहीं बढ़ी, जिससे परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा।
आक्रोशित परिजनों ने रोड पर चक्का जाम कर पुलिस पर भी लापरवाही के आरोप लगाए। आदिवासी जन समाचार की टीम ने इस मामले की विवेचना कर रहे मुंशी से पक्ष जाना। मुंशी ने बताया कि चौकी पुलिस स्टाफ ने शव को परिजनों और ग्रामीणों की मौजूदगी में विधिवत पोस्टमार्टम हेतु सीएससी धरमजयगढ़ भेजा था, लेकिन डॉक्टर ने रिपोर्ट में आत्महत्या दर्शाई।
विवाद बढ़ने पर मौके पर पहुंचे एसडीओपी धरमजयगढ़ और तहसीलदार ने हस्तक्षेप किया और परिजनों को लिखित आश्वासन दिया। पुलिस ने भरोसा दिलाया कि 7 दिन के भीतर जांच पूरी की जाएगी। आश्वासन के बाद मामला शांत हुआ, लेकिन परिजनों का कहना है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या है।
अब जिले में गूंज रहे सवाल
👉 पूरे शरीर में चोट के निशान मिलने के बाद भी पीएम रिपोर्ट संदिग्ध क्यों?
👉 क्या जिला प्रशासन संदिग्ध पीएम रिपोर्ट की जांच करेगा?
डॉक्टर का पक्ष टालमटोल
आदिवासी जन समाचार की टीम ने इस मामले में धरमजयगढ़ हॉस्पिटल का रुख किया। वहां डॉ. संतोष कुमार मौजूद नहीं थे। कॉल पर बात करने पर उन्होंने कहा कि शाम 5:00 बजे अस्पताल आकर अपना वर्जन देंगे, लेकिन जब मीडिया टीम वहां पहुंची तो उन्होंने वर्जन देने से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद मीडिया ने धरमजयगढ़ बीएमओ से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने भी फोन रिसीव नहीं किया।
विवाद का नया एंगल : कोरोना काल की पढ़ाई पर भी उठे सवाल ?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डॉ. संतोष कुमार ने कोरोना काल के दौरान पढ़ाई पूरी की है और उन्हें फील्ड का अनुभव बेहद कम है। ऐसे में गंभीर मामलों में उनका निर्णय सवालों के घेरे में आना स्वाभाविक है। सूत्रों का कहना है कि अनुभवहीन डॉक्टर के कारण ही यह रिपोर्ट संदिग्ध बनी और हत्या जैसे गंभीर मामले को आत्महत्या बताकर दबाने की कोशिश की गई।
पैसे का खेल? सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह भी आरोप है कि डॉ. संतोष कुमार सिंह ने मोटी रकम लेकर मौत को आत्महत्या बताने वाली रिपोर्ट तैयार की। उनका कहना है कि यदि निष्पक्ष जांच हो तो सच्चाई सामने आ जाएगी और इस पूरे मामले में पैसे का लेन-देन भी उजागर होगा।
पुलिस पर लगे आरोप, निष्पक्ष
ग्रामीणों ने पुलिस पर भी लापरवाही का आरोप लगाया था, जबकि मौके पर मौजूद अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पूरी निष्पक्षता के साथ काम किया। पुलिस स्टाफ ने शव को परिजनों और ग्रामीणों की मौजूदगी में विधिवत धरमजयगढ़ सीएससी अस्पताल पीएम हेतु भेजा था। लेकिन जब डॉक्टर ने रिपोर्ट में सीधे आत्महत्या दर्शा दिया, तब विवेचना आगे बढ़ ही नहीं सकी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यदि डॉक्टर रिपोर्ट में शरीर पर पाए गए गंभीर चोटों का उल्लेख करते, तो उसी आधार पर पुलिस हत्या की दिशा में जांच करती। ऐसे में यह साफ है कि डॉक्टर की लापरवाही और संदिग्ध रिपोर्ट ही पूरे मामले को विवादित बना रही है, जबकि पुलिस ने मौके पर किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं की।
