
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार बने दो साल से ज़्यादा समय बीत चुका है, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले जारी “मोदी की गारंटी” वाले घोषणा पत्र के अधिकांश वादे अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाए हैं। किसानों से लेकर महिलाओं, युवाओं और कर्मचारियों तक — हर वर्ग अब सरकार से जवाब चाहता है।
भर्ती और रोजगार के वादे अब भी कागज़ों में
सरकार ने दावा किया था कि 2 साल में 1 लाख खाली पदों पर भर्ती की जाएगी और सरकार बनते ही 57 हजार रिक्त पदों पर भर्ती शुरू होगी। लेकिन भर्ती प्रक्रिया की रफ्तार बेहद धीमी है। वहीं युवाओं में निराशा और असंतोष बढ़ता जा रहा है।
आवास और तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए घोषणाएं अटकीं
18 लाख प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान देने का वादा भी अधूरा है। ग्रामीण इलाकों में अब तक कई पात्र परिवार घर पाने का इंतज़ार कर रहे हैं।
इसी तरह तेंदूपत्ता संग्राहकों को 5500 रुपये प्रति बोरा और 4500 रुपये तक बोनस देने का वादा भी लागू नहीं हुआ है।
जनजाति और गरीब वर्ग की योजनाएं भी अधूरी
सरकार ने घोषणा की थी कि जनजाति वर्ग को 5-5 लाख का वन अधिकार पट्टा दिया जाएगा और गरीब परिवार में लड़की के जन्म पर 1.5 लाख रुपये का आश्वासन प्रमाणपत्र मिलेगा। लेकिन अब तक ज़मीनी स्तर पर बहुत कम परिवारों को इसका लाभ मिल पाया है।
कर्मचारियों की मांगें अब भी लंबित
भाजपा ने वादा किया था कि सरकार बनने के 100 दिन के भीतर सभी कर्मचारियों की समस्याओं की समीक्षा कर समाधान के लिए कमेटी बनाई जाएगी। लेकिन अब दो साल बाद भी न तो कोई ठोस निर्णय लिया गया है, न ही लंबित एरियर्स और पीपीएफ से जुड़ी मांगों पर अमल हुआ है।
भ्रष्टाचार और भर्ती घोटालों पर कार्रवाई का वादा भी अधूरा
घोषणा पत्र में कहा गया था कि भ्रष्टाचार और गैरकानूनी भर्तियों की जांच कर दोषियों को दंडित किया जाएगा और पारदर्शी भर्ती प्रणाली लागू की जाएगी, लेकिन अब तक किसी बड़े घोटाले पर निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई है।
अन्य अधूरी घोषणाएं
आयुष्मान भारत योजना के तहत 10 लाख रुपये तक इलाज की सुविधा का वादा पूरी तरह लागू नहीं।
मितानिनों का मानदेय 50% बढ़ाने और रसोइयों एवं स्कूल सफाई कर्मियों के वेतन में वृद्धि जैसे वादे भी अधर में हैं।
500 रुपये में गैस सिलेंडर, कॉलेज छात्रों को ट्रेवल अलाउंस, और चिटफंड कंपनियों में फंसे पैसे की वापसी जैसी गारंटियां भी अब तक धरातल पर नहीं आई हैं।
जनता पूछ रही सवाल — वादे कब होंगे पूरे?
दो साल बीत चुके हैं, लेकिन “मोदी की गारंटी छत्तीसगढ़ 2023” के अधिकांश वादे आज भी सिर्फ़ कागज़ों में हैं। जनता अब यह सवाल पूछ रही है कि “क्या यह गारंटी सिर्फ़ चुनावी जुमला थी?”