लैलूंगा, 30 अक्टूबर। लैलूंगा जनपद में लंबे समय से एक ही जगह पर जमे अधिकारी और कर्मचारी अब विकास कार्यों में सबसे बड़ी रुकावट बन चुके हैं। वर्षों से बिना स्थानांतरण के बैठे इन अधिकारियों ने जनहित योजनाओं को अपनी निजी संपत्ति समझ लिया है। नतीजा यह है कि विकास योजनाएं कागजों में सीमित हैं, जबकि ज़मीनी स्तर पर घोटालों का खेल जोरों पर है।
सूत्रों का दावा है कि जनपद में मनमानी, कमीशनखोरी और फर्जी बिलिंग का सिलसिला जारी है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य अधूरे पड़े हैं, लेकिन फाइलों में उन्हें ‘पूरा’ दिखा दिया गया है। सवाल यह उठता है कि आखिर इन सबका जिम्मेदार कौन है? क्या प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई होगी या भ्रष्टाचार का यह जाल इसी तरह चलता रहेगा?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लैलूंगा जनपद में जारी फर्जी बिलिंग और भ्रष्टाचार के खेल की अब गूंज बड़े स्तर पर सुनाई देने लगी है। बताया जा रहा है कि जनपद में किए जा रहे मनमाने भुगतान और फर्जी खर्चों के दस्तावेज़ जल्द ही आयकर विभाग (इनकम टैक्स) में शिकायत के रूप में पहुंच सकते हैं। संबंधित विभागों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की तैयारी चल रही है। जनपद क्षेत्र में चर्चा तेज है कि यदि जांच शुरू हुई, तो कई बड़े नामों का खुलासा होना तय है।
फर्जी बिलिंग का खेल केवल एक-दो जगह तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्राम पंचायत झरन, बसंतपुर, आमापाली और जामबहार जैसे कई पंचायतों में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं सामने आयी हैं। बताया जा रहा है कि इन पंचायतों में विकास कार्यों के नाम पर भारी भरकम राशि आहरित की गई, लेकिन ज़मीन पर उसका कोई ठोस असर नहीं दिखता। कई कार्य कागजों पर पूरे दिखा दिए गए, जबकि हकीकत में वे अधूरे या न के बराबर हैं। अब इस पूरे मामले की शिकायत आयकर विभाग में करने की तैयारी चल रही है, जिससे फर्जी बिलिंग करने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों की पूरी सच्चाई उजागर हो सके।
जांच के शुरू होते ही यह मामला परत दर परत उजागर होगा — खातों, बैंक ट्रांजैक्शनों, सांठगांठी बिलों और ठेकेदारों के दस्तावेज़ों की क्रॉस-चेकिंग से प्रशासनिक और वित्तीय गड़बड़ियों की असल तस्वीर सामने आयेगी। जहाँ आवश्यक होगा फ़ोरेंसिक ऑडिट और रिकॉर्ड वेरिफिकेशन होगा, वहीं गवाहों और स्थानीय स्रोतों के बयान भी मामले की गहराई खोलेंगे, जिससे जल्द ही जिम्मेदारों के नाम और तरीके दोनों बेनकाब हो सकेंगे।
लगातार मीडिया में इस घोटाले की खबरें सामने आने के बावजूद प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। जनता पूछ रही है — आखिर कब जागेगा प्रशासन? क्या अब भी जिम्मेदार अधिकारी इस पूरे मामले को नजरअंदाज करते रहेंगे, या फिर लैलूंगा जनपद में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएंगे? बार-बार चेतावनी और खुलासों के बाद भी कार्रवाई न होना यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं अंदरूनी मिलीभगत का जाल गहराई तक फैला हुआ है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस बार नींद से कब जागेगा और जनता के विश्वास को बहाल करने के लिए क्या कदम उठाएगा।
