रायगढ़/लैलूंगा।
मनरेगा की डबरी योजना का लैलूंगा में हुआ घोटाला अब सरकार और प्रशासन दोनों की पोल खोल रहा है। ग्राम पंचायत कुंजारा में हितग्राही नरेश गुप्ता के नाम पर ₹1,35,000 की राशि डबरी निर्माण के नाम पर हड़प ली गई। कागज़ों पर तालाब खोद दिया गया, लेकिन ज़मीन पर एक इंच भी मिट्टी नहीं हिली।
इस घोटाले में रोजगार सहायक व लैलूंगा जनपद के अधिकारियों की मिलीभगत साफ झलक रही है, पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब पीड़ित ने जनपद पंचायत, एसडीएम और यहां तक कि प्रदेश के वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी तक शिकायत दी, तब भी समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
👉 क्या जिम्मेदार अफसर भ्रष्टाचारियों की ढाल बन गए हैं?
👉क्या मंत्री स्तर तक पहुंची शिकायतों को दबाकर “फाइलों की कब्रगाह” में दफना दिया गया है?
त्योहार नवा खाई पर भी जब नरेश गुप्ता ने तहसील कार्यालय के सामने आमरण अनशन शुरू किया, तब यह मामला और गंभीर हो गया। गरीब की जान से बढ़कर क्या भ्रष्ट अफसरों की इज्ज़त बचाना ज़रूरी है – यही सवाल अब पूरे इलाके में गूंज रहा है।
आज लैलूंगा का भूखा बैठा यह इंसान सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि उस पूरे तंत्र के खिलाफ लड़ रहा है जहाँ –
“जनता का पसीना सूखता है और अफसरों की जेबें भीगती हैं।”
अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो यह साफ संदेश जाएगा कि मनरेगा जैसी योजनाएं गरीबों की नहीं, बल्कि अफसर–कर्मचारियों और पंचायत तंत्र की लूट की दुकान बन चुकी हैं।
📌 एसडीएम का वर्जन
एसडीएम भरत कौशिक ने कहा – “मामले की जांच के लिए लैलूंगा जनपद पंचायत को भेजा गया है। जैसे ही जांच पूरी होगी, तत्काल आगे की कार्यवाही की जाएगी।”