रायगढ़।
गुजरात के अहमदाबाद जिले के छोटे से गांव कठलाल से निकलकर डॉक्टर बने और फिर पहले ही प्रयास में यूपीएससी पास कर 205वीं रैंक के साथ आईपीएस बने—यह कहानी है छत्तीसगढ़ के जांबाज़ अफसर और वर्तमान रायगढ़ पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल की।
एक अनोखा सफर
दिव्यांग पटेल ने अपनी पढ़ाई एमबीबीएस में पूरी की। लेकिन समाज सेवा का जुनून उन्हें डॉक्टर की कोख से पुलिस की दुनिया में ले आया। 2014 बैच के आईपीएस के रूप में उन्होंने कोरबा से अपने करियर की शुरुआत की। धीरे-धीरे बिलासपुर, बीजापुर, महासमुंद, कोंडागांव, बेमेतरा और कांकेर में अपनी सेवाओं के माध्यम से कानून और व्यवस्था बनाए रखने में शानदार प्रदर्शन किया।
नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनौतीपूर्ण काम
बीजापुर और कोंडागांव जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उन्होंने सड़क निर्माण, ग्रामीण सुरक्षा, और शिक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए। उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ सीधा संवाद और मैराथन आयोजन करके पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ाया।
उनकी रणनीति केवल सख्ती तक सीमित नहीं थी, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली पहल भी रही।
गांजा तस्करी और अपराध नियंत्रण
महासमुंद और कोंडागांव जिले में उन्होंने गांजा तस्करी के बड़े नेटवर्क को ध्वस्त किया। करीब 10,000 किलो गांजा जब्त कर, अंतरराज्यीय तस्करों की कमर तोड़ दी।
इसी उपलब्धि के लिए उन्हें FICCI अवार्ड से सम्मानित किया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने प्रदान किया।
यह साबित करता है कि दिव्यांग पटेल न केवल साहसी हैं बल्कि साफ-सुथरी और जवाबदेह पुलिसिंग का प्रतीक भी हैं।
रायगढ़ में नई उम्मीदें और जनसेवा
वर्तमान में रायगढ़ जिले के पुलिस अधीक्षक के रूप में दिव्यांग पटेल कानून-व्यवस्था बनाए रखने, अपराध रोकने और जनता के साथ विश्वास स्थापित करने में अग्रणी हैं।
वह भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी, रायगढ़ के सदस्य भी हैं और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में सक्रिय योगदान दे रहे हैं।
युवाओं के लिए प्रेरणा
डॉक्टर से आईपीएस बनने का उनका सफर दिखाता है कि सपनों को हकीकत में बदलने का साहस और मेहनत दोनों जरूरी हैं।
नक्सल प्रभावित इलाकों से लेकर बड़े अपराध नेटवर्क तक, दिव्यांग पटेल की रणनीति, साहस और समाज सेवा की भावना, युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का संदेश है।