धरमजयगढ़ क्षेत्र में प्रस्तावित अंबुजा सीमेंट लिमिटेड – अडानी पुरुंगा भूमिगत कोयला खदान परियोजना को लेकर विरोध की आवाजें अब भी थमी नहीं हैं। प्रशासन और कंपनी के दावों के बावजूद प्रभावित ग्रामीण जनसुनवाई को रद्द करने पर अड़े हुए हैं।
जिले के धरमजयगढ़ क्षेत्र में इस परियोजना की पर्यावरण जनसुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित है। इसे लेकर आसपास के गांवों में विरोध का माहौल व्याप्त है। बीते बुधवार को सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण और जनप्रतिनिधि रायगढ़ कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां उन्होंने जनसुनवाई रद्द करने की मांग की। इसके बाद 23 अक्टूबर को प्रशासन की मध्यस्थता में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और कंपनी अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई थी।
बैठक के बाद प्रशासन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि ग्रामीणों ने जनसुनवाई में भाग लेने पर सहमति जताई है। लेकिन जब मीडिया रिपोर्टर टीम ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, तो ग्रामीणों ने इस दावे से इंकार करते हुए बताया कि उनका विरोध अब भी जारी है और उन्होंने जनसुनवाई को रद्द करने का सामूहिक निर्णय लिया है।
इस संबंध में सांभरसिंघा के सरपंच प्रतिनिधि कार्तिक राम राठिया ने मीडिया को बताया कि –
“एसडीएम साहब ने कहा था कि जनसुनवाई के दिन आप अपनी बात रखिए, लेकिन हमारी मुख्य चिंताएं — जल स्रोत, पर्यावरण और वन्यजीवों पर पड़ने वाले प्रभाव — अब भी जस की तस हैं। हमने ग्राम बैठक कर निर्णय लिया है कि जनसुनवाई रद्द की जानी चाहिए।”
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि खदान से जलस्तर में गिरावट, जंगलों की क्षति, जीव-जंतुओं के आवास पर असर और स्थानीय संस्कृति एवं स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ने की संभावना है।
दूसरी ओर, रायगढ़ जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि परियोजना पूरी तरह भूमिगत होगी और इससे कृषि भूमि, जल-जंगल-जमीन को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। प्रशासन के अनुसार,
“खनन से जलस्तर प्रभावित नहीं होगा, वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी और ग्रामसभा के अधिकार व परंपराएं सुरक्षित रहेंगी। कोयले का परिवहन रेलमार्ग से किया जाएगा ताकि सड़कों पर प्रदूषण और दबाव न बढ़े।”
