लैलूंगा, 31 अक्टूबर। जनपद पंचायत लैलूंगा में घोटालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हैरानी की बात यह है कि कई योजनाओं में न तो दुकानें हैं, न ही वास्तविक रूप से सामान की आपूर्ति हुई है, फिर भी कागज़ों पर भुगतान दिखाकर भारी भरकम राशि का बंदरबांट किया जा रहा है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कई फर्जी बिल और खरीद प्रक्रियाएं केवल दस्तावेज़ों में पूरी की जा रही हैं। ऑडिट टीम के समक्ष सभी कागजात “सही” बताकर क्लीन चिट दे दी जाती है, जिससे जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती। बताया जा रहा है कि यह पूरा खेल जनपद के अंदर बैठे कुछ प्रभावशाली अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से चल रहा है। सवाल उठता है — क्या वाकई ऑडिट टीम को सब कुछ सही दिखाया जा रहा है, या फिर ये खेल किसी बड़े संरक्षण में हो रहा है?
सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक और जनपद के अधिकारी-कर्मचारी हो रहे मालामाल
सूत्रों का दावा है कि जनपद पंचायत लैलूंगा में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि अब सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक से लेकर जनपद के अधिकारी-कर्मचारी तक इस खेल में शामिल बताए जा रहे हैं। योजनाओं में फर्जी बिल, कागजी काम और मनमानी भुगतान के जरिए लाखों रुपये की बंदरबांट हो रही है। न काम हो रहे, न विकास दिख रहा — फिर भी सबकी जेबें भर रही हैं। जनता पूछ रही है — आखिर ये पैसा जा कहां रहा है और रोक लगाएगा कौन?
जीएसटी बिल में बड़ा खेल जनपद पंचायत लैलूंगा में जीएसटी बिलों के नाम पर गड़बड़ी का खुला खेल चल रहा है। कई फर्जी फर्मों के नाम पर बिल तैयार कर भुगतान किया जा रहा है, जबकि न तो सामान खरीदा गया और न ही कोई सप्लाई हुई। ऑडिट में सब कुछ सही दिखाकर अधिकारियों ने क्लीन चिट दे दी है। सवाल उठता है — आखिर ये खेल किसकी ‘शह’ पर चल रहा है?
