लैलूंगा नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 15 भदरापारा में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ जहाँ अमीर और प्रभावशाली लोगों तक पहुँच गया है, वहीं अति गरीब और जरूरतमंद परिवार आज भी खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार नगर पंचायत और संबंधित अधिकारियों से आवास दिलाने की मांग की, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ़ आश्वासन मिला, कार्रवाई नहीं। सवाल यह उठता है कि जब प्रधानमंत्री आवास योजना का मकसद हर गरीब को पक्का घर देना है, तो फिर भदरापारा के गरीब परिवार क्यों छूट गए?
अब जनता पूछ रही है —
👉 क्या प्रधानमंत्री आवास योजना सिर्फ़ कागजों में चल रही है?
👉 क्या शासन-प्रशासन सिर्फ़ दिखावे की योजना चला रहा है?
भदरापारा के लोगों की मांग है कि उच्चस्तरीय जांच हो, और जिन पात्र परिवारों को आवास योजना से वंचित किया गया है, उन्हें तुरंत लाभ दिलाया जाए।
क्या प्रधानमंत्री आवास योजना अमीरों के लिए बनाई गई है?
प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य था देश के हर गरीब को पक्का घर दिलाना, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। कई जगहों पर यह योजना उन लोगों तक पहुँच रही है जिनके पास पहले से ही घर या संसाधन मौजूद हैं, जबकि वास्तविक गरीब अब भी झोपड़ियों में जीवन यापन कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि क्या यह योजना अब अमीरों की सुविधा बन गई है?अगर ऐसा है, तो गरीबों के सपनों का क्या होगा, जिनके लिए यह योजना शुरू की गई थी? शासन-प्रशासन को अब गंभीरता से जांच करनी चाहिए कि योजना का लाभ सही हाथों तक पहुँचे, न कि उन तक जिन्हें इसकी जरूरत ही नहीं।
क्या गरीब होना अन्याय है?
आज के दौर में ऐसा लगता है मानो गरीब होना ही एक अपराध बन गया हो। जिन योजनाओं का हकदार गरीब होता है, वहां भी उसे दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं। अधिकारी और व्यवस्था की अनदेखी ने उसकी आवाज़ को कमजोर कर दिया है।मेहनत करने के बावजूद जब किसी को उसका अधिकार नहीं मिलता, तो सवाल उठता है — क्या इस देश में गरीब होना एक अन्याय है?समाज और शासन को अब यह समझना होगा कि विकास तभी सच्चा होगा जब गरीबों के सपनों को भी बराबर की जगह दी जाए।
क्या वार्ड क्रमांक 15 में होगी जांच, क्या गरीबों को मिलेगा न्याय?
लैलूंगा नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 15 भदरापारा में प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर उठ रहे सवाल अब जांच की मांग में बदल गए हैं। अति गरीब परिवारों का कहना है कि उन्हें योजना से वंचित कर दिया गया, जबकि वे पात्रता के दायरे में आते हैं।
अब लोगों की उम्मीद प्रशासन से है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और जिन परिवारों को नाजायज रूप से सूची से बाहर रखा गया है, उन्हें उनका हक मिले।
टूटे-फूटे घर में रहने को आज भी मजबूर गरीब परिवार
वार्ड क्रमांक 15 भदरापारा के कई अति गरीब परिवार आज भी टूटे-फूटे घरों और कच्ची झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं। बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है, दीवारें टूट रही हैं और ठंड के मौसम में सर्द हवाएँ सीधी अंदर घुस जाती हैं।
सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ इन्हें अब तक नहीं मिला, जबकि इन्हीं परिवारों के लिए यह योजना शुरू की गई थी।हालात इतने खराब हैं कि कई परिवार बच्चों के साथ अस्थायी झोपड़ियों में रात गुजारते हैं। सवाल उठता है कि जब सरकार “सबका साथ, सबका विकास” की बात करती है, तो फिर इन बेघर गरीबों तक राहत क्यों नहीं पहुँच पा रही है?
