न्यूज

आमापाली रोजगार सहायक घासीराम चौहान की पत्नी सरिता चौहान के नाम पर फर्जी जीएसटी फर्म – ग्राम पंचायत झरन में करोड़ों की बंदरबांट, कोई दुकान नहीं और सरकारी खजाने की खुली लूट!

रायगढ़/लैलूंगा।
मनरेगा योजना, जिसे गरीब मज़दूरों को रोज़गार देने और उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए बनाया गया था, अब भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की लूट की थाली बन चुकी है। ताज़ा खुलासा ग्राम पंचायत झरन से हुआ है, जहाँ आमापाली के रोजगार सहायक घासीराम चौहान की पत्नी सरिता चौहान के नाम पर जीएसटी फर्म बनाकर लाखों रुपए के फर्जी बिल और कोटेशन लगाए गए।

सबसे चौंकाने वाली बात – जिस महिला के नाम पर फर्म दर्ज है, उसकी कोई दुकान मौजूद नहीं है! लेकिन इसके बावजूद, भ्रष्ट अफसरों और दलालों की मिलीभगत से फर्जी बिलों की सिंचाई की गई और सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए की खुली लूट हुई।

सूत्रों का दावा है कि झरन पंचायत में मनरेगा मद से कई लाख का बिल दिखाया गया, जबकि जमीनी स्तर पर न तो कोई निर्माण कार्य हुआ और न ही कोई सामग्री खरीदी गई। कागज़ों में “काम पूरा” लिखा गया, लेकिन हकीकत में सब फर्जी!

यह साफ़ तौर पर दिखाता है कि कैसे गरीब मजदूरों के पैसे, जो उनकी मेहनत और अधिकार हैं, उन्हें अफसर और कर्मचारी अपनी तिजोरी में भर रहे हैं। रोजगार सहायक की पत्नी के नाम पर बनाई गई यह फर्जी फर्म सिर्फ़ सरकारी फंड हड़पने के लिए खड़ी की गई थी।

ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल लापरवाही नहीं बल्कि संगठित लूट का जहरीला खेल है, जिसमें पंचायत से लेकर जिला स्तर तक की मिलीभगत शामिल है। सवाल उठता है – “जब दुकान ही नहीं थी, तो फर्म रजिस्टर्ड कैसे हुई? लाखों का भुगतान किसकी मंजूरी से हुआ? और क्या सिस्टम के उच्चाधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर घोटाला किया गया?”

हमने इस घोटाले पर रोजगार सहायक घासीराम चौहान से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया।

अब जनता पूछ रही है –
👉 क्या शासन-प्रशासन इस मनरेगा घोटाले पर आंख मूंदे बैठेगा?
👉 या फिर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कर मिसाल पेश करेगा और भ्रष्टाचार की इस खतरनाक जड़ को खत्म करेगा?

यह मामला सिर्फ झरन पंचायत तक सीमित नहीं है। संकेत मिल रहे हैं कि पूरे जिले में इसी तरह की फर्जी फर्में और लूट का खेल चल रहा है। यदि तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो यह घोटाला पूरे क्षेत्र में फैल सकता है।

💥 मनरेगा का पैसा = गरीबों का हक, भ्रष्टों की थैली नहीं!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button